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सेवारत शिक्षक बीएड इंटर्नशिप और वेतन

  • Writer: PANKAJ Ojha
    PANKAJ Ojha
  • Aug 13
  • 3 min read

एक संगठित समाधान की आवश्यकता


शिक्षा विभाग में कार्यरत अनेक शिक्षक अपनी प्रशैक्षिक योग्यता में अभिवृद्धि और पदोन्नति के आगामी पायदान तक जाने के लिए सेवा में रहते हुए विभाग से अनुमति प्राप्त कर पत्राचार माध्यम से बीएड करते हैं। ऐसे शिक्षकों को प्रथम वर्ष में चार सप्ताह तथा द्वितीय वर्ष में 16 सप्ताह की इंटर्नशिप विश्वविद्यालय की गाइडलाइन अनुसार करनी होती है।


2019 का आदेश


इंटर्नशिप हेतु विद्यालय आवंटन व इंटर्नशिप अवधि के दौरान पूर्व वर्षों की भांति वेतन भुगतान को लेकर राज्य सरकार के प्रारंभिक शिक्षा (आयोजना) विभाग जयपुर द्वारा दिनांक 03.05.2019 को आदेश जारी किया गया है। क्रमांक प. (7) 10 प्रा. शि/आयो/2018 के इस आदेश के तहत इंटर्नशिप हेतु शिक्षकों को उनके स्वयं का विद्यालय या पीईईओ परिक्षेत्र का राजकीय विद्यालय आवंटित किया जाता है।


इसी आदेश में इंटर्नशिप अवधि के दौरान शिक्षकों को वेतन पूर्ववत दिए जाने की बात भी कही गई है। पिछले वर्षों में यह व्यवस्था सुचारू रूप से लागू रही है और शिक्षकों को इंटर्नशिप अवधि का वेतन नियमित रूप से प्राप्त होता रहा है। इस तरह बिना किसी आर्थिक व्यवधान के सेवारत शिक्षक अपना बीएड पाठ्यक्रम पूरा कर डीपीसी के लिए पात्रता हासिल करते रहे हैं

हालिया असुविधा— इंटर्नशिप अवधि को ड्यूटी में नहीं मानना

असुविधा की उत्पत्ति प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, बीकानेर द्वारा जारी पत्र क्रमांक शिविरा/प्रारं/शिक्षक- संस्था/एफ /विविध/इंटर्नशिप / 2023 दिनांक 01 अगस्त 2025 से हुई है जिसमें राजस्थान सेवा नियम 1951 की धारा 7(8)(ब) का हवाला देते हुए यह कहा गया कि बी.एड. में पत्राचार माध्यम से की जा रही इंटर्नशिप को कर्तव्य नहीं माना जाएगा। परिणामस्वरूप वर्षों से विभाग की अनुमति से बीएड कर रहे शिक्षकों का वेतन अटकता नजर आ रहा है।


राजस्थान शिक्षक संघ अंबेडकर की प्रतिक्रिया


इस फैसले ने पत्राचार से बीएड कर रहे हजारो सेवारत शिक्षकों के बीच असंतोष पैदा कर दिया है। राजस्थान शिक्षक संघ (अंबेडकर) ने इस निर्णय को अन्यायपूर्ण बताया है। संगठन का मानना है कि यह केवल वेतन का मुद्दा नहीं, बल्कि शिक्षक की गरिमा और उनके प्रशिक्षण के अधिकार से जुड़ा विषय है। सेवारत शिक्षक इंटर्नशिप अवधि को कर्तव्य माना जाना चाहिए। ऐसी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए जिससे शिक्षक अपनी ड्यूटी और इंटर्नशिप दोनों बिना वेतन कटौती के पूरा कर सकें । नियमित वेतन भुगतान से शिक्षकों का मनोबल बना रहेगा और वे अपने शिक्षण कार्यों में बेहतर योगदान दे सकेंगे।


संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण बारूपाल व महामंत्री सोहन जोहरम ने सरकार से मांग की है कि:


1.⁠ ⁠दिनांक 01.08.2025 का आदेश तत्काल वापस लिया जाए।

2.⁠ ⁠इंटर्नशिप अवधि को ड्यूटी मानकर वेतन भुगतान नियमित रूप से किया जावे ।

3.⁠ ⁠सेवा नियम 1951 के उपनियमों में परिस्थिति अनुसार संशोधन किया जावे।


समाधान और आगे की राह

👉 सेवा नियम 1951 में हो बदलाव —

आजादी के 75 साल बाद शिक्षा व्यवस्था, तकनीकी साधन और प्रशिक्षण प्रणाली काफी बदल चुकी है। बीते वर्षों से जो सेवा नियम हैं, उनमें वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप परिपक्वता एवं बदलाव किया जाना जरूरी है ऐसे में राजस्थान सेवा नियम 1951 के उपनियमों में संशोधन अपेक्षित है।


👉 ड्यूटी के साथ इंटर्नशिप — अधिकांश सेवारत इंटर्नशिप शिक्षक प्रारंभिक शिक्षा विभाग से हैं और प्रारंभिक शिक्षा में पहले से ही शिक्षकों की कमी है ऐसे में ये शिक्षक नियमित शैक्षणिक कार्य करते हुए ही इंटर्नशिप भी पूरी करें, इस तरह की व्यवस्था की जा सकती है । इससे स्कूल का शिक्षण कार्य भी प्रभावित नहीं होगा और इंटर्नशिप भी समय पर पूरी जो जाएगी

निष्कर्ष

बीएड इंटर्नशिप से जुड़ा यह विषय न केवल प्रशासनिक स्पष्टता की मांग करता है बल्कि यह भी याद दिलाता है कि शिक्षक प्रशिक्षण और विद्यालय संचालक दोनों के बीच संतुलन बनाना संभव है बशर्ते कि निर्णय व्यावहारिक हो। विद्यालयों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था तथा शिक्षक के प्रशिक्षण हितों को मध्य नजर रखते हुए विभाग द्वारा व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाकर समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है.


सकारात्मक कार्यवाही की आशा में,


कृष्ण बारूपाल

प्रदेश अध्यक्ष

राजस्थान शिक्षक संघ (अंबेडकर)

@rssambedkar

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