टीएसपी क्षेत्र और शिक्षक — स्थानांतरण की नई राह
- PANKAJ Ojha
- Sep 9
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टीएसपी पृष्ठभूमि
टीएसपी यानी जनजातीय उप योजना (ज्तपइंस ैनइ च्संदद्ध वह क्षेत्र है, जहाँ अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या कुल आबादी का 50 % से अधिक होती है। टीएसपी की नींव पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974 -1979) के दौरान रखी गई थी। यह भारत सरकार की एक विशेष नीति है जिसका उद्देष्य अनुसूचित जन जातियों के जीवन स्तर को सुधारना और उनके सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना है। ताकि जनजातीय समुदाय विकास की मुख्य धारा से जुड़ सके।
सरल शब्दों में कहें तो टीएसपी एक प्रयास है जिसके माध्यम से आदिवासी समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के बेहतर अवसर देकर उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
संविधान के अनुच्छेद 244 और पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत देश के 10 राज्यों में अनुसूचित क्षेत्र घोषित किए गए हैं, जिनमें राजस्थान भी शामिल है।
राजस्थान में शुरुआत में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, सिरोही और प्रतापगढ़ जिलों के कुछ हिस्से ही टीएसपी में आते थे। लेकिन मई 2018 की अधिसूचना से इसका दायरा और बढ़ा कई नए गांव टीएसपी क्षेत्र में शामिल किए गए।
राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2014 में टीएसपी के लिए पृथक भर्ती एवं सेवा नियम जारी किए गए हैं।
टीएसपी क्षेत्र और शिक्षक
राजस्थान प्रदेश भर से सैकड़ो शिक्षक वर्षों से टीएसपी क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं जो लंबे समय से अपने गृह जिले या नाॅन-टीएसपी क्षेत्र में स्थानांतरण की मांग करते आ रहे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ अम्बेडकर ने प्रदेश व्यापी आहवान पर 01 सितम्बर 2025 को प्रत्येक जिला मुख्यालय से राज्य सरकार को प्रेषित ज्ञापन में टीएसपी क्षेत्र के शिक्षकों समायोजन की पूरजोर मांग की है।
हाल ही में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों के लिए राहत भरा आदेश जारी किया है। निदेशालय द्वारा टीएसपी और नाॅन टीएसपी क्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों के समायोजन हेतु विकल्प मांगे गये हैं।
समायोजन शेड्यूल

पात्र शिक्षक 8 से 24 सितम्बर 2025 तक शाला दर्पण पोर्टल पर अपनी लाॅगिन आईडी और पासवर्ड से विकल्प भर सकेंगे।
जो कार्मिक 2018 तक नाॅन-टीएसपी क्षेत्र में चयनित हुए थे, लेकिन अधिसूचना विस्तार से टीएसपी क्षेत्र में सम्मिलित हो गए, उन्हें यह तय करने का अवसर मिलेगा कि वे टीएसपी क्षेत्र में रहना चाहते हैं या बाहर जाना चाहते हैं।
टीएसपी क्षेत्र के मूल निवासी कार्मिक, जिनका चयन नाॅन-टीएसपी क्षेत्र में हुआ था, उन्हें प्राथमिकता से स्थानांतरण/समायोजन का अवसर मिलेगा।
संगठन का पक्ष
राजस्थान शिक्षक संघ (अंबेडकर) लंबे समय से इस मांग को उठा रहा था। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण बारूपाल ने इसे शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था, दोनों के लिए राहत भरा कदम बताया है।
प्रदेश महामंत्री सोहन जोहरम ने इस निर्णय को शिक्षकों के लिए अपने गृह जिलों में लौटने का अवसर बताया है।
इससे न केवल शिक्षकों को सुविधा होगी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता भी आएगी।”
संगठन का सुझाव
संगठन का आग्रह है कि निदेशालय द्वारा 19 जुलाई 2025 को जारी पत्र के बिंदु (अ) उपबिंदु 3 को हटाया जाए, जिसमें यह प्रावधान है कि नाॅन-टीएसपी से किसी शिक्षक का स्थानांतरण तभी होगा, जब उसकी जगह कोई अन्य कार्मिक कार्यभार ग्रहण करेगा।
निष्कर्ष-
टीएसपी क्षेत्र की व्यवस्था का उद्देश्य जनजातीय समुदाय को शिक्षा और सेवाओं में विशेष अवसर देना है। लेकिन इसके साथ ही, वर्षों से कार्यरत शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करना भी उतना ही जरूरी है।
निदेशालय का यह निर्णय संगठन की मांग को मान्यता देता है और शिक्षा व्यवस्था को नई स्थिरता प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
कृष्ण बारूपाल
प्रदेश अध्यक्ष
राजस्थान शिक्षक संघ (अंबेडकर)




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