कर्मचारी के हस्ताक्षर बदलने की क्या प्रक्रिया है व हस्ताक्षर हिन्दी मे हो या अंग्रेजी में ?
- PANKAJ Ojha
- Aug 5
- 3 min read
🔰आवश्यक जानकारी🔰
05/08/2025
1 प्रश्न:-कर्मचारी के हस्ताक्षर बदलने की क्या प्रक्रिया है व हस्ताक्षर हिन्दी मे हो या अंग्रेजी में ?
उत्तर- राजकीय सेवा में हस्ताक्षर व्यक्ति की विशिष्ट पहचान होती है।
हस्ताक्षर का अर्थ है कि एक ऐसा निशान जिसको आपने कई बार बनाया हो। हस्ताक्षर बिलकुल बदले जा सकते हैं, कोई आदेश अपेक्षित नही हैं। सेवा पुस्तिका मे किये गये हस्ताक्षर का विभाग से अन्य जगह किये गये हस्ताक्षर से समान होना आवश्यक नहीं हैं।
राजस्थान सरकार के राजकीय आदेशानुसार सभी कार्मिको के हस्ताक्षर हिन्दी मे करना अनिवार्य माना है। यदि कोई कार्मिक किसी कारणवश या अज्ञानतावश यदि हस्ताक्षर हिन्दी मे नही कर रहा है तो उसे हस्ताक्षर बदलने का सुझाव दिया जाता है।
कई कार्मिक प्रारम्भ से ही या सेवा में आने के बाद हस्ताक्षर अंग्रेजी में कर रहे होते है उन्हें राजकीय आदेशो की पालना में अपने हस्ताक्षर हिन्दी भाषा मे करने की आवश्यकता होती है।
कई बार जोइनिंग के वक्त ही जानकर डीडीओ अथवा नियंत्रण अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर हिन्दी मे ही स्वीकार किये जाते है जिससे कार्मिको को भविष्य में सहूलियत रहती है।
🔥हस्ताक्षर में बदलाव के संभावित कारण-👇
1. हस्ताक्षर हिन्दी मे नही होना।
2.सुरक्षा की दृष्टि से बदलाव।
3. समय के साथ हस्ताक्षर करने की शैली में आये बदलाव के कारण।
4.हस्ताक्षर का अधिक लंबा व क्लिष्ट होना।
इत्यादि कारणों से व्यक्ति हस्ताक्षर बदलने की चाह रखता है।
🔥हस्ताक्षर में बदलाव ⬇️👇
1.हस्ताक्षर हिंदी में करने के आदेश जारी हुए थे।
2.उपस्थिति पंजिका में लघु हस्ताक्षर भी किए जा सकते है।
3. यदि अंग्रेजी में हस्ताक्षर कर रहे हैं तो DDO को हस्ताक्षर परिवर्तन हेतु प्रार्थना पत्र देकर उनसे नए हस्ताक्षर प्रमाणित करवाएं तथा सेवा पुस्तिका में भी नए हस्ताक्षर DDO से निर्धारित स्थान पर प्रमाणित करावे व चाहे तो उपस्थिति पंजिका लघु हस्ताक्षर कर सकते है।
🔥आवेदन कर प्रमाणित कैसे करवाए ⬇️👇
1.अपने DDO को लिखित में हस्ताक्षर बदलने हेतु प्रार्थना पत्र द्वारा आवेदन करें।
2:-DDO अनुमति देंगे एवं सेवापुस्तिका में नये हस्ताक्षर करवा कर उसे मय दिनांक प्रमाणित कर देंगे।
3:-सेवापुस्तिका में हस्ताक्षर प्रमाणित हेतु अलग से स्थान निर्धारित है।
4:-राज्य सरकार के निर्देश अनुसार सभी राज्य कर्मचारियों के हस्ताक्षर हिंदी में करना अनिवार्य है।
5.सेवा पुस्तिका में नए हस्ताक्षर को DDO प्रमाणित करेंगे व प्रार्थना पत्र की प्रमाणित की हुई प्रति सर्विस फ़ाइल में रहेगी।
🔥विशेष- हस्ताक्षर हिंदी में ही अनिवार्य है और DDO को प्रार्थना पत्र देकर , सर्विस बुक में कभी भी परिवर्तन करवाये जा सकते है।
🚹सेवा पुस्तिका में प्रथमबार हस्ताक्षर प्रमाणित कराने वाले पृष्ठ में नीचे नोट अंकित है कि इस पृष्ठ के लेख (अंगुलियों व अंगूठे के निशानों को छोड़ कर) कम से कम पांच वर्ष बाद नवीनीकरण व पुनः प्रमाणीकरण किया जावे।पाच साल के बाद तो अति आवश्यक है चाहे तो पहले भी कर सकते है
🚹नोट :यह इबारत सेवा पुस्तिका में हस्ताक्षर वाले पेज के नीचे लिखी हुई मिलेगी।⬇️
इस पृष्ठ के लेख कम से कम प्रत्येक पाँचवें वर्ष नवीनीकरण तथा पुनः प्रमाणित होने चाहिए तथा 9 व 10 के खाने में हस्ताक्षर मय पद दिनाङ्क होना चाहिए। इस नियम के अन्तर्गत अंगुली की छाप नये सिरे से लेने की आवश्यकता नहीं है।
Note:- The entries in this page should be renewed or re-attested at least every five years and the signature in Column no. 9 and 10 should be dated. Finger prints need not be taken after every five years under this Rule.
दिलीप कुमार
Retired-R.E.S
सादड़ी-पाली
एडमिन पैनल
🏵️पे मैनेजर इन्फो🏵️
हिंदी में हस्ताक्षर करने के आदेशों की प्रति डाउनलोड करे :-

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